खेलो इंडिया(khelo-india) में CRPF की अनदेखी भूमिका – एक ब्लॉगर की नज़र से | अनुभव और सच

भारत में खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई खेलो इंडिया योजना के बारे में तो आपने ज़रूर सुना होगा। इस योजना का मकसद सिर्फ़ मेडल जीतना या बड़े खिलाड़ी तैयार करना नहीं है, बल्कि खेलों के ज़रिए देश की युवा पीढ़ी को मज़बूत बनाना और हर गांव-कस्बे में खेल संस्कृति को ज़िंदा रखना है। लेकिन एक ऐसी सच्चाई है, जो कम ही लोगों को पता है – और वो है CRPF यानी केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की ख़ास और असरदार भूमिका।

मैं खुद एक खेल पत्रकार और ब्लॉगर होने के नाते कई ऐसे टूर्नामेंट और इवेंट्स में गया हूँ, जहाँ CRPF के अफ़सर और जवानों को मैदान पर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते, उन्हें गाइड करते और हर कदम पर उनका साथ देते हुए देखा। मेरे लिए ये अनुभव बेहद खास रहे, क्योंकि तब एहसास हुआ कि खेल सिर्फ़ मैदान तक सीमित नहीं होते, बल्कि इसके पीछे एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम होता है, और CRPF उसी का हिस्सा है।

CRPF का रोल: मैदान से परे की मेहनत

CRPF की सबसे बड़ी ताकत यही है कि वो सिर्फ़ प्रोफेशनल खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं देता, बल्कि गांव-कस्बों के युवाओं और बच्चों को भी खेलों की तरफ़ आकर्षित करता है। उदाहरण के तौर पर, मैंने नक्सल प्रभावित इलाकों में देखा कि CRPF के जवान स्कूलों में जाकर बच्चों के साथ क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी जैसे खेल खेलते हैं, उन्हें खेल सामग्री बांटते हैं और स्थानीय टूर्नामेंट्स कराते हैं। इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और ज़िंदगी को नई दिशा भी मिलती है।

CRPF अलग-अलग स्तर पर कई प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है जैसे अंतर-बटालियन टूर्नामेंट, अंतर-क्षेत्रीय स्पर्धाएँ और ओपन टूर्नामेंट्स। इससे खिलाड़ियों को अपना हुनर दिखाने और निखारने का शानदार मौका मिलता है।

खेल इंफ्रास्ट्रक्चर में भी योगदान

मेरे अनुभव में सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली बात CRPF द्वारा बनाए गए खेल के मैदान, स्टेडियम, शूटिंग रेंज और फिटनेस सेंटर्स हैं। ये सिर्फ़ CRPF के जवानों के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय खिलाड़ियों के लिए भी उपलब्ध रहते हैं। खेलो इंडिया योजना का जो मकसद है – खेल की सुविधाओं को देश के हर कोने तक पहुँचाना – उसमें CRPF का योगदान वाकई क़ाबिले तारीफ़ है।

खिलाड़ियों के लिए मज़बूत सपोर्ट सिस्टम

खेलो इंडिया योजना के तहत चुने गए खिलाड़ियों को हर साल करीब पाँच लाख रुपये तक की छात्रवृत्ति दी जाती है, जिससे वे डाइट, ट्रेनिंग और कोचिंग का खर्च उठा सकें। CRPF भी इसमें पूरी मदद करता है – खिलाड़ियों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलाता है, मानसिक मज़बूती देता है और बड़े टूर्नामेंट्स के लिए तैयार करता है। CRPF के कई खिलाड़ी तो राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रोशन कर चुके हैं जैसे हॉकी, कबड्डी, तीरंदाज़ी और शूटिंग जैसे खेलों में।

सिर्फ सुरक्षा नहीं, समाज को मज़बूती देना भी मकसद

CRPF की भूमिका सिर्फ़ सुरक्षा तक सीमित नहीं रहती। मैंने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान देखा कि यह बल युवाओं में अनुशासन, टीमवर्क और फिटनेस की भावना भी पैदा करता है। CRPF के अधिकारी नए टैलेंट को खोजने में मदद करते हैं और उन्हें बेहतर कोचिंग और प्रशिक्षण दिलाने में भी सहयोग करते हैं।

मेरी नज़र से

खेलो इंडिया योजना में CRPF की भूमिका ज़्यादातर लोगों को दिखती नहीं, पर असल में ये बहुत गहरी और असरदार है। मेरे जैसे ब्लॉगर और पत्रकार के लिए यह देखकर गर्व की बात है कि CRPF की मेहनत से ऐसे कई खिलाड़ी सामने आ रहे हैं, जो भविष्य में भारत का नाम और भी ऊँचाई पर ले जाएंगे।

संक्षेप में कहूँ तो:
सरकारी योजनाएँ तभी सफल होती हैं, जब उन्हें ज़मीन पर उतारने वाले लोग भी पूरे दिल से काम करें। CRPF ने यही कर दिखाया है – सुरक्षा के साथ-साथ खेलों के ज़रिए समाज को भी मज़बूत बनाया है। खेलो इंडिया योजना में CRPF की ये अनदेखी भूमिका सच में सराहना के काबिल है।

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