प्रस्तावना
27 जुलाई 1939 को नीमच (मध्य प्रदेश) में “क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस” (Crown Representative’s Police – CRP) की स्थापना हुई। यही बल आगे चलकर आज के सबसे बड़े केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल CRPF के रूप में विकसित हुआ। यह दिन बल का असली “राइजिंग डे” माना जाता है, क्योंकि इसी दिन CRP के रूप में इसकी बुनियाद पड़ी। इस विस्तृत लेख में हम CRPF के इतिहास, स्थापना से लेकर आज तक की मुख्य उपलब्धियों, संगठनात्मक बदलावों, अभियानों, बलिदानों और 27 जुलाई के ऐतिहासिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

इतिहास और गठन: एक नज़र में
1939 में CRP का गठन:
ब्रिटिश हुकूमत ने 1936 में मद्रास प्रस्ताव के बाद आंतरिक सुरक्षा की ज़रूरत को महसूस किया। परिणामस्वरूप 27 जुलाई 1939 को CRP की स्थापना हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य देशी रियासतों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना था।
स्वतंत्र भारत में बदलाव:
1949 में संसद के अधिनियम द्वारा CRP का नाम बदलकर Central Reserve Police Force (CRPF) रखा गया और इसे केंद्रीय सशस्त्र बल का दर्जा मिला।
19 मार्च 1950 का ऐतिहासिक क्षण:
सरदार वल्लभभाई पटेल ने बल को President’s Colours प्रदान किए। इसी दिन को बाद में हर साल CRPF Day के रूप में मनाया जाने लगा।
CRPF डे की तिथियों में बदलाव
पहले CRPF के स्थापना दिवस और अन्य महत्वपूर्ण तिथियाँ अलग-अलग समय पर मनाई जाती थीं: 27 जुलाई – CRP स्थापना दिवस, 28 दिसंबर – CRPF नामकरण दिवस, 31 अक्टूबर – सरदार पटेल जयंती, 19 मार्च – ध्वज प्रदान दिवस
2018 में बदलाव:
CRPF ने यह तय किया कि अब हर साल सिर्फ 19 मार्च को आधिकारिक तौर पर CRPF Day मनाया जाएगा, ताकि मौसम और कार्यक्रमों की नियमितता बनी रहे। हालांकि, 27 जुलाई को फाउंडेशन डे के रूप में अब भी याद किया जाता है।
27 जुलाई का सामरिक महत्व
27 जुलाई सिर्फ तारीख नहीं, बल्कि CRPF के अस्तित्व की नींव का दिन है। इसी दिन नीमच में पहला बटालियन बना, जिससे यह सफर शुरू हुआ।
2024 में 86वीं फाउंडेशन डे:
नई दिल्ली में आयोजित समारोह में गृह सचिव ने वीरता पुरस्कार और शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बल को शुभकामनाएँ दीं।
CRPF का मिशन और मुख्य भूमिकाएँ
देश की आंतरिक सुरक्षा का प्रहरी:
CRPF नक्सलवाद, आतंकवाद, चुनाव ड्यूटी, VIP सुरक्षा और दंगों को नियंत्रित करने से लेकर प्राकृतिक आपदाओं में राहत तक हर मोर्चे पर सक्रिय है।
विशेष इकाइयाँ:
CoBRA – नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गहराई तक ऑपरेशन
RAF (Rapid Action Force) – दंगा नियंत्रण
Mahila Battalion – महिला सशक्तिकरण की मिसाल
वीरता और बलिदान: CRPF का इतिहास सुनहरे अक्षरों में
CRPF के जवानों ने अब तक 2000+ वीरता पदक जीते हैं – जो किसी भी केंद्रीय अर्धसैनिक बल में सबसे अधिक हैं। अब तक 2,264 वीर जवानों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। यह बल की निःस्वार्थ सेवा और साहस का प्रमाण है।

नक्सल विरोधी अभियानों में निर्णायक भूमिका
CRPF ने नक्सल बेल्ट में 400+ फॉरवर्ड ऑपरेशन बेस स्थापित कर, नक्सली गतिविधियों में 70% से ज़्यादा कमी सुनिश्चित की। सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह सफाया कर दिया जाए। इसमें CRPF की रणनीतिक भूमिका अहम है।
देश में ही नहीं, दुनिया में भी योगदान
CRPF के जवानों ने संयुक्त राष्ट्र मिशनों में श्रीलंका, सोमालिया, हैती, नामीबिया जैसे देशों में भी शांति बनाए रखने का काम किया है।
जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व में शांति स्थापना
जम्मू-कश्मीर:
CRPF आतंक विरोधी अभियानों में सेना के साथ मिलकर काम करता है, साथ ही सिविल व्यवस्था भी बनाए रखता है।
उत्तर-पूर्व:
यहां पर भी उग्रवादी संगठनों को नियंत्रित करने और चुनावों में सुरक्षा सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी CRPF निभाता है।
स्थानीय स्तर पर सामुदायिक पहलें
भोपाल ग्रुप सेंटर का उदाहरण:
27 जुलाई को रक्तदान शिविर, पौधारोपण, शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 2019 में 900 पौधे बाँटे गए और कैंसर वार्ड में भी जवानों ने सेवा दी – यह CRPF के मानवीय चेहरे को दर्शाता है।
CRPF के कुछ अन्य गौरवमयी पहलू
महिला सशक्तिकरण: महिला बटालियन की तैनाती, जिससे महिला प्रदर्शनकारियों को संवेदनशील ढंग से नियंत्रित किया जा सके।
तकनीकी उन्नति: ड्रोन, बॉडी कैमरा, GPS उपकरण जैसे अत्याधुनिक संसाधनों का प्रयोग।
खेल और संस्कृति: जवानों का खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतना।
निष्कर्ष
27 जुलाई, केवल CRPF का फाउंडेशन डे नहीं, बल्कि उस अदम्य साहस और सेवा भाव का प्रतीक है जिससे यह बल आज भी भारत की सुरक्षा में तत्पर है। CRPF का हर जवान देश की अखंडता, लोकतंत्र और आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर पल तैयार रहता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि 1939 में शुरू हुई यह यात्रा आज लाखों जवानों के संकल्प और बलिदान से इतनी विशाल हुई है। यही कारण है कि 27 जुलाई को पूरे देश में गर्व से CRPF की नींव को याद किया जाता है – एक ऐसी नींव जिसने भारत की आंतरिक सुरक्षा को सबसे मजबूत स्तंभ दिया।