कैप्टन विक्रम बत्रा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारत की वीरता और आत्मबलिदान का ऐसा प्रतीक हैं, जिनकी कहानी आज भी हर भारतीय को गर्व और प्रेरणा से भर देती है। कारगिल युद्ध के इस नायक को सेना में “शेरशाह” का कोडनेम मिला, जिसने अपने साहस, नेतृत्व और जज़्बे से इतिहास रच दिया। आइए, उनकी पूरी गाथा को करीब से जानें – एक ऐसे युवा की कहानी, जिसने “Yeh Dil Maange More!” कहकर पूरे देश का दिल जीत लिया।
परिचय – कौन थे कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना के वह जांबाज़ अधिकारी थे, जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी वीरता और नेतृत्व से ऐसी मिसाल कायम की, जो आज भी युवाओं के लिए आदर्श है।
पूरा नाम: विक्रम बत्रा
जन्म: 9 सितम्बर 1974, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश
माता-पिता: जी.एल. बत्रा (प्रधानाचार्य), कमलकांता बत्रा (शिक्षिका)
शिक्षा: डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ | एम.ए. इंग्लिश | एनसीसी में बेस्ट कैडेट
सेना में भर्ती: 6 दिसंबर 1997 | Indian Military Academy, देहरादून
यूनिट: 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स (13 JAK Rifles)
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कारगिल युद्ध में भूमिका – Operation Vijay में शेरशाह का पराक्रम

कारगिल युद्ध के सबसे कठिन मिशनों में कैप्टन विक्रम बत्रा ने निडर होकर नेतृत्व किया। ऊँचाई, खराब मौसम और दुश्मन की लगातार गोलीबारी के बावजूद उन्होंने अपनी टीम का हौसला बढ़ाया और महत्वपूर्ण ठिकानों पर विजय पाई।
Point 5140 पर विजय
20 जून 1999 की रात, विक्रम बत्रा के नेतृत्व में उनकी टीम ने 17,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित Point 5140 पर हमला किया। जीत के बाद उन्होंने रेडियो पर कहा – “Yeh Dil Maange More!” यह वाक्य आज भी भारत के युवाओं के दिलों में देशभक्ति की गूंज बन चुका है।
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Point 4875 पर अंतिम लड़ाई – वीरता का शिखर
7 जुलाई 1999 को उन्होंने Point 4875 पर लड़ते हुए अपने साथी अधिकारी को बचाने के प्रयास में वीरगति प्राप्त की। इस अद्वितीय साहस और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत Param Vir Chakra से सम्मानित किया गया।
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जीवन के निजी पहलू – एक भावनात्मक झलक
बचपन से ही विक्रम बत्रा में अनुशासन और नेतृत्व की झलक थी। एनसीसी में “बेस्ट कैडेट” का पुरस्कार जीतने के बाद उनका सपना साफ था – “अगर मैं सेना में नहीं गया, तो मैं खुद से संतुष्ट नहीं रह पाऊँगा।”
कॉलेज में वे कराटे में ग्रीन बेल्ट हासिल कर चुके थे और खेल, पढ़ाई दोनों में अव्वल थे। उनकी ज़िंदगी सिर्फ एक सैनिक की नहीं, बल्कि एक जज़्बाती, ज़िंदादिल और निडर युवा की कहानी है।
कैप्टन बत्रा पर बनी फिल्म – Shershaah
2021 में रिलीज़ हुई फिल्म Shershaah ने कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी को देश की नई पीढ़ी तक पहुँचाया। सिद्धार्थ मल्होत्रा ने उनका किरदार निभाया और कियारा आडवाणी ने उनकी मित्र डिंपल चीमा की भूमिका निभाई।
यह फिल्म सिर्फ युद्ध पर नहीं, बल्कि प्रेम, साहस और बलिदान की भावनात्मक यात्रा को भी दिखाती है।
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परमवीर चक्र – भारत का सर्वोच्च युद्ध सम्मान

कैप्टन विक्रम बत्रा को उनकी अद्वितीय वीरता और नेतृत्व के लिए मरणोपरांत Param Vir Chakra से सम्मानित किया गया। यह सम्मान भारत के वीर सैनिकों को असाधारण साहस दिखाने पर दिया जाता है। आज भी उनका नाम सैन्य अकादमियों में गर्व से लिया जाता है।
कैप्टन बत्रा की विरासत – हर दिल में ज़िंदा
पालमपुर में विक्रम बत्रा मेमोरियल, उनके नाम पर सड़कें, स्कूल और कॉलेज उनकी याद को हमेशा जीवित रखते हैं। उनकी कहानी आज भी युवाओं को देशसेवा के लिए प्रेरित करती है और यह साबित करती है कि सच्चा साहस क्या होता है।
निष्कर्ष – शेरशाह को सलाम
कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी सिर्फ एक सैनिक की नहीं, बल्कि सपनों, साहस और बलिदान की अमर गाथा है। उन्होंने कहा था –
“Either I will come back after hoisting the Tricolor, or I will come back wrapped in it. But I will come back for sure.”
आज भी उनकी ये पंक्तियाँ हमें सिखाती हैं कि देश के लिए जीना और मरना ही सबसे बड़ा सम्मान है। कारगिल विजय दिवस के इस अवसर पर हम सब शेरशाह को और उन जैसे वीर शहीदों को दिल से सलाम करते हैं।